Thursday, December 29, 2011

जिंदगी के मजे नादानियों में हैं

जिंदगी के मजे नादानियों में हैं
धमा चौकड़ी , खेल खिलौने 
और नानी की कहानियों में है 

हूँ मैं मैं गंभीर और जिम्मेदार भी 
सजग भी हूँ और तैयार भी 
पर मन तो शैतानियों में है
जिंदगी के मजे नादानियों में हैं 

जानता हूँ मैं वक्त की अहमियत को 
मानता हूँ पाबंदियों को 
पर दिल तो लापरवाहियों में है
जिंदगी के मजे नादानियों में हैं 

ना करू गर नादानियाँ तो
जिंदगी के मायने क्या हैं
हर पल को जीना है मुझे
अगले पल न जाने क्या है 

Wednesday, December 7, 2011

आगे निकल आया हूँ मैं

दिल को अज़ीज़ थे जो सपने
तोड़ आया हूँ  मैं
अपनी यादों को पीछे कही
छोड़ आया हूँ मैं
एक वक्त था की तू ही थी
 मंजिल मेरी .......
 ......................
अब अपनी राहें
मोड़ आया हूँ मैं

 

Monday, September 19, 2011

कुछ नहीं

क्या करना है  क्या होना है 
किसको क्या पता है यहाँ 
अपनी तो  जिन्दगी जा रही है 
ये राहे ले जाए जहाँ ....

हिस्से हिस्से में बँट  रहे ख्वाबो को 
जोड़कर इक तस्वीर बनाता हूँ  
फिर टुकड़े टुकड़े कर उसके 
यूँ ही मुस्कुराता हूँ  

शायद ख्वाबो का यही होना है
हर पल बस नए सपने संजोना है
हर कोई यहाँ खिलौना है 
न कुछ पाना है ना कुछ खोना है 


गर मजा आता है छोड़ कर जाने में तुम्हें
मेरी यादों को तनहा छोड़ जाओ तुम

Sunday, September 4, 2011

लम्हे

ठहरी हुई जिन्दगी में
लम्हे यूं गुजर जाते हैं  
हाथों से रेत  की तरह
फिसल जाते हैं
रोकना तो चाहा बहुत मगर
 ये तो बादल हैं
बस उड़ते ही चले जाते हैं

लम्हों को खुल के जीना
हमने सीखा ही नहीं
जिन्दगी की राह पर  
सर को झुकाए चले जाते हैं

  बेहिसाब लम्हे यूँ ही
गुजरते गए 
सिवाय उस लम्हे के
जिसमे हम तुम साथ थे 
और वो याद बन गया..... 

Thursday, August 4, 2011

क्षितिज

जिन्दगी यूं खेलती है खेल  हमसे
लगता है  की दूर कहीं
फलक मिल रहा है जमीं से
क़यामत तक हम यूं ही चले जायेंगे
वो मुकाम फिर भी न पायेंगे
मगर उस दम भी गुमां होता है
दूर कहीं दूर ये दोनों मिल जायेंगे.....

बरखा

उमड़ पड़े कितने रंग अम्बर पे
मन पे छाई उमंगें कैसी कैसी
छा रहा एक खुमार दिल-ओ-दिमाग पर
आसमा पे बनने लगी तस्वीरे
सभी के चेहरों जैसी 
आसमान को छूती हमारी खुशियाँ
चूम कर रंगों को  इठलाती  है 
जमीं  पर चलते चलते 
क़दमों  को आसमां  पे ले  जाती है
हिरनों सा कुलाचे भर मन
 पूरा वन घूम आता है
दिल के कोने में पड़ा एक  सपना
इस नए एहसास से मुस्काता है
........ ये बरखा का मौसम है.....

Thursday, July 28, 2011

अँधेरा

"एक शाम  बैठे  थे  हम तुम साथ  में ,
वक्त जा  रहा था पहलू  में  रात  के , 
दिन रोज की तरह ढलता जा रहा था, 
तुम्हारी जुल्फ का बादल अँधेरे में घुलता जा रहा था ,
रौशनी हो गयी थी मद्धम मद्धम, 
चाँद निकलने लगा था चमचम चमचम, 
तभी एक बात छिड़ गयी, 
और बात ही बात में बात चल गयी,
कभी फूलो कभी बहारों की बात हुई, 
कभी नजर तो कभी नजारों की बात हुई, 
कभी सावन तो कभी फुहारों की बात हुई,
कभी चंदा तो कभी सितारों की बात हुई, 
................ख्वाब टूटा जो मेरा.........
.वहां था ................बस अँधेरा ...........

Wednesday, July 27, 2011

ummeed

इन्ही राहों पे चलना है तुझे जिन्दगी 
देखले रास्ते मेरे ख्वाब के ,
कोयलों में काटी हैं रातें बहुत 
दिन गुजरेंगे साए में माहताब के.......

faasle

कभी तनहा थे तुम , कभी हम भी थे तनहा 
फासले भी थे , मोहब्बत भी थी मगर 
पास ही हो तुम और करीब हैं हम 
पर तनहाइयों को तलाशती है नजर .......

intezar

आज इंतज़ार है मुझे उस दिन का
उस घड़ी उस पल -छिन का 
जब आशाओं की कलियाँ 
सफलता के फूलो में 
परिणत हो जाएँगी 
जर्रे जर्रे में खुशबू ही बिखर जाएगी 
हाँ मेरी जिन्दगी हाँ !
मेरी मेहनत सफल हो जाएगी 
वो दिन वो रात वो सुबह वो शाम 
कभी तो आएगी .........