Thursday, July 28, 2011

अँधेरा

"एक शाम  बैठे  थे  हम तुम साथ  में ,
वक्त जा  रहा था पहलू  में  रात  के , 
दिन रोज की तरह ढलता जा रहा था, 
तुम्हारी जुल्फ का बादल अँधेरे में घुलता जा रहा था ,
रौशनी हो गयी थी मद्धम मद्धम, 
चाँद निकलने लगा था चमचम चमचम, 
तभी एक बात छिड़ गयी, 
और बात ही बात में बात चल गयी,
कभी फूलो कभी बहारों की बात हुई, 
कभी नजर तो कभी नजारों की बात हुई, 
कभी सावन तो कभी फुहारों की बात हुई,
कभी चंदा तो कभी सितारों की बात हुई, 
................ख्वाब टूटा जो मेरा.........
.वहां था ................बस अँधेरा ...........

Wednesday, July 27, 2011

ummeed

इन्ही राहों पे चलना है तुझे जिन्दगी 
देखले रास्ते मेरे ख्वाब के ,
कोयलों में काटी हैं रातें बहुत 
दिन गुजरेंगे साए में माहताब के.......

faasle

कभी तनहा थे तुम , कभी हम भी थे तनहा 
फासले भी थे , मोहब्बत भी थी मगर 
पास ही हो तुम और करीब हैं हम 
पर तनहाइयों को तलाशती है नजर .......

intezar

आज इंतज़ार है मुझे उस दिन का
उस घड़ी उस पल -छिन का 
जब आशाओं की कलियाँ 
सफलता के फूलो में 
परिणत हो जाएँगी 
जर्रे जर्रे में खुशबू ही बिखर जाएगी 
हाँ मेरी जिन्दगी हाँ !
मेरी मेहनत सफल हो जाएगी 
वो दिन वो रात वो सुबह वो शाम 
कभी तो आएगी .........