Thursday, December 29, 2011

जिंदगी के मजे नादानियों में हैं

जिंदगी के मजे नादानियों में हैं
धमा चौकड़ी , खेल खिलौने 
और नानी की कहानियों में है 

हूँ मैं मैं गंभीर और जिम्मेदार भी 
सजग भी हूँ और तैयार भी 
पर मन तो शैतानियों में है
जिंदगी के मजे नादानियों में हैं 

जानता हूँ मैं वक्त की अहमियत को 
मानता हूँ पाबंदियों को 
पर दिल तो लापरवाहियों में है
जिंदगी के मजे नादानियों में हैं 

ना करू गर नादानियाँ तो
जिंदगी के मायने क्या हैं
हर पल को जीना है मुझे
अगले पल न जाने क्या है 

Wednesday, December 7, 2011

आगे निकल आया हूँ मैं

दिल को अज़ीज़ थे जो सपने
तोड़ आया हूँ  मैं
अपनी यादों को पीछे कही
छोड़ आया हूँ मैं
एक वक्त था की तू ही थी
 मंजिल मेरी .......
 ......................
अब अपनी राहें
मोड़ आया हूँ मैं