Sunday, May 13, 2012

मंजिल

मैंने चाहा वो मुकाम  आ  भी  गया  तो क्या ,
राही ने मंजिल  को पा भी लिया तो क्या ,
ज़िन्दगी तो राहों  में  हुआ   करती  है ,
मंजिल तो बस  मौत  है  और  क्या ....

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