Sunday, May 13, 2012

तू गुजरा हुआ एक लम्हा, मैं आने वाला पल

तू गुजरा हुआ  एक  लम्हा
मैं आने  वाला  पल ,
तू भी एक  कल
मैं भी एक  कल

बस  तुम  यादों  के सांचे में ढल  गए
वक्त  के दरिया में  गिरकर  जल गए
पर मैं हूँ  अब भी इक  कल्पना
अनछुआ  , निष्कलंक  ....... निर्मल


तू गुजरा हुआ  एक  लम्हा
मैं आने  वाला  पल ,

तुने बांटी जो  खुशियाँ
वो जश्न  मुझे  मनाने  हैं
तुने जो दर्द  दिए
वो आंसू मुझे बहाने हैं
तुझसे ही मैं खुश
तुझसे ही बेकल ,

तू गुजरा हुआ  इक   लम्हा
 मैं आने  वाला  पल ,

तुझसा मैं भी जल   जाऊंगा
यादों के सांचे में ढल  जाऊंगा
तू और मैं जब  मिल  जाते हैं
वक़्त  की श्रृंखला बनाते  हैं
और यूं ही बहता  जीवन  अविरल


तू गुजरा हुआ  इक   लम्हा
 मैं आने  वाला  पल ,

1 comment: