Monday, September 3, 2012

भावनाएं

आसमां के बादलों सी ही
भावनाएं मेरी बहुतेरी
घेर लेती हैं कभी मन को
तो कभी छोड़ देती हैं खुला - खुला

कभी  कुछ कपास से रेशमी भाव
चमक से भर देते हैं हर कोना
तो कभी बादल ढक  लेते हैं
बूँदें बरसती हैं मुझको रुला - रुला

बिजलियाँ कड़क कर सहमा देती हैं
आंधियां भी आके भरमा देती हैं
पर जब ख़त्म होता है सब तब
अम्बर - धरती जैसे  धुला - धुला

 आसमां के बादलों सी ही
भावनाएं मेरी बहुतेरी
घेर लेती हैं कभी मन को
तो कभी छोड़ देती हैं खुला - खुला 

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