Saturday, September 21, 2013

आज मन मेरा उदास है

जाने क्यूँ इसे कुछ भाये ना
बेचैन है सुकूं आये ना
जाने किस बात से नाराज़ है
आज मन मेरा उदास है।

पर साथ जब सब दोस्त यार हैं
खुशियों के मौके भी बेशुमार हैं
फिर क्या है ??…. क्यों निराश है
आज मन मेरा उदास है।

किस्मत  को भी अपनी आजमा लिया है
जो भी चाहा था पा लिया है
फिर क्या जिसकी इसे आस है
आज मन मेरा उदास है।

कोई भी मेरा मुझसे जुदा नहीं
खफा इतना भी मुझसे खुदा नहीं
प्यारे मुझको जो, सब आस पास हैं
फिर क्यूँ  आज मन मेरा उदास है।

मन मेरे ऐसी भी क्या मुश्किल है
कौन है ऐसा जिसको सब कुछ ही हासिल है
चलने को दुनिया में कितने ही रस्ते हैं
हार के भी सबकुछ, फिर भी लोग हँसते हैं।

सोंच जरा उनके बारे में
जिनके तुझसे बुरे हालात हैं
फिर देख जरा जीवन को अपने
क्या-क्या नहीं तेरे पास है

बस तू मन में फिर से नयी एक उमंग भर
उदासी पर चटख इक नया रंग भर
उत्साह के गीतों से बुझा ले
जो भी तेरी प्यास है
ताकि फिर कभी मैं न कहू
आज मन मेरा उदास है। 

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