Sunday, January 26, 2014

ज़िन्दगी

कुछ गुजरे हुए नाज़ुक लम्हे
एक-आध गुनगुनी सी याद, है ज़िन्दगी !
माँ के होंठों का स्पर्श माथे पर
यारों की चुलबुली सी बात, है ज़िन्दगी !

बैठे रहना घंटों ठंडी धूप में
और बस यूँ ही खो जाने का एहसास, है ज़िन्दगी !
तेरे ना होने पर जो खो जाए
और जो तू  पास हो तो पास, है ज़िन्दगी !

हज़ारों बेवजह बीत रहे लम्हों के दरम्यां
तेरी एक बेपरवाह मुस्कान, है ज़िन्दगी !
कुछ दुनियादारी का जीता-जागता इल्म
कुछ वही घिसा-पिटा किताबी ज्ञान, है ज़िन्दगी !

जाने कितने पसंदीदा गानों कि धुनें
कुछ किस्से जो ना आयें रास, है ज़िन्दगी !
सब कुछ तो बस यूँ ही रहा
और जो थोडा बच गया वो 'खास', है ज़िन्दगी !

मिलते तो रहे हज़ारों से उम्र भर
पर मुझसे मेरी मुलाकात, है ज़िन्दगी !
रास्तों के कहकहे या मंज़िलों कि ख़ामोशी
रहे जो हरकदम साथ, है ज़िन्दगी !

कुछ गुजरे हुए नाज़ुक लम्हे
एक-आध गुनगुनी सी याद, है ज़िन्दगी !

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