Wednesday, March 9, 2016

एक राष्ट्र - एक परिवार

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,  सब कड़ियाँ इक ज़ंज़ीर की
अतरंगे सब रंग निराले,  भारत के तस्वीर की
बढ़ें प्रगति की राह पर,  जो चले हाथों में ले हाथ
जाती धर्म के द्वेष भुलाकर, कदम बढ़ाये साथ साथ

सात सुरों का राग बनाकर,  क्यों न इक स्वर में गा लें हम
एक ही माँ के सब बेटे हैं,  आओ एक दूजे को अपना लें  हम
रेशा रेशा जो बिखरा बिखरा,  समय की धूल में खो जाएगा
गूंथ गूंथ कर हर धागे को, अखंड सूत्र बना ले हम

रंग बिरंगे फूल हैं सारे मिलकर उपवन महकायेंगे
कतरा कतरा साथ में बहके सागर बन जायेंगे हम
असंख्य भुजाओं का एक हाथ बने, जो हम सारे साथ चलें
वेदों के ज्ञाता विश्व गुरु हैं, विश्व शक्ति भी बन जायेंगे हम

इस धरा पे रहेगा अपना कोई दुश्मन शेष नहीं
पवित्र पावन इस घर में गर रहे कोई क्लेश नहीं
सर्वधर्म समभाव ही उज्जवल भविष्य की नींव है
ईंट से ईंट जोड़ सुदृढ़ एक दीवार बन जायेंगे हम

रहे भरोसा सबको सबपर ऐसा  माहौल  बनाना है
एक राष्ट्र के वासी हैं, हमें एक परिवार बनाना है।



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