Tuesday, September 27, 2016

मेरे नाम

रहो जो बेक़रार मेरे बिन
मुझे दिल का करार लिखना

रहे राहों पे निगाहें जब तलक
आँखों का इंतज़ार लिखना

भूल जाओ जो काम काज मेरी याद में
दिल-ओ-दिमाग का इतवार लिखना

बेनींद गुजरी हैं जो राते ख्वाबो में
निगाहों का वही मौसम दुश्वार लिखना

मिलूंगा न जब इस ज़माने में
अपने दिल पे जाना मेरा इश्तेहार लिखना



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