आँख खोले रातों में सोते हुये
स्याह से सपने संजोते हुये
काले आसमां के धागे
उँगलियों पर लपेटते हुए
रात की स्याही को
खुद में समेटते हुए
एक अंधेरी सी सुबह में
जागने की उम्मीद है,
धुंधला सूरज काली धूप
एक उदासीन धूमिल सा दिन
और फिर वही रात
वही अधूरी नींद है I
Kaviraj Shobhit...
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