Sunday, April 8, 2018

रात

आँख खोले रातों में सोते हुये 
स्याह से सपने संजोते हुये 
काले आसमां के धागे
उँगलियों पर लपेटते हुए 
रात की स्याही को
खुद में समेटते हुए 
एक अंधेरी सी सुबह में 
जागने की उम्मीद है, 
धुंधला सूरज काली धूप 
एक उदासीन धूमिल सा दिन 
और फिर वही रात
वही अधूरी नींद है  I 

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